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Saturday, May 30, 2020

शेखतकी द्वारा कबीर परमेश्वर के साथ 52 बार बदमाशी करना

शेखतकी द्वारा कबीर परमेश्वर जी के साथ 52 बदमाशी करना

कबीर साहेब जी को 52 कसनी (52 बदमाशी) दी गयी। फिर भी उनका कुछ नहीं हुआ क्योंकि कबीर साहेब जी अविनाशी थे।लगभग 600 साल पहले जब परमेश्वर कबीर साहेब जीवों का उद्धार करने के लिए धरती पर आये तो पाखंडवाद का विरोध किया और सद्ग्रंथो में वर्णित सत्यभक्ति का प्रकाश फैलाया। हिन्दु धर्म में प्रचलित पाखंड पूजाएं, शास्त्र विरुद्ध साधनाओं और मुस्लिम धर्म में प्रचलित जीव हत्या का कबीर परमात्मा ने पुरजोर विरोध किया। उस समय परमात्मा के 64 लाख शिष्य हुए। दोनों धर्मों के और सभी वर्गों के व्यक्तियों ने परमेश्वर कबीर साहेब से उपदेश प्राप्त किया क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब के आशीर्वाद से सभी के दुखों का अंत हो जाता था। उन्ही शिष्यों में से एक था दिल्ली का सुल्तान सिकंदर लोधी।
सिकंदर लोधी के जलन का रोग था जिसका इलाज वो हर पीर फ़कीर से करवा कर थक चुका था। उसका वो रोग परमात्मा कबीर साहेब जी की शरण में आने के बाद ही ठीक हुआ था। उसी के सामने कबीर परमात्मा ने स्वामी रामानंद जी और एक मृत गाय को जीवित किया थ। तब से सिकंदर लोधी, कबीर साहेब जी को अल्लाह मानता था। इस कारण से सिकंदर लोधी का धार्मिक गुरु शेख तकि कबीर साहेब से ईर्ष्या करता था । कबीर साहेब को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसने कई बार उन्हें मरवाने की नाकाम कोशिश की।
52 कसनी (बदमाशी) में से मख्य यातनाएं
शेखतकी ने कबीर साहेब जी को 52 तरह की यातनाएं दीं थी, जिनमें से मुख्य निम्नलिखित है.

 उबलते तेल के कड़ाहे में डालना
 kabir sahib in boil oil


शेख तकि ने हज़ारों मुसलमानों को इकठ्ठा करके कहा कि हम कबीर को उबलते तेल की कढ़ाही में डालेंगे। अगर ये नहीं मरा तो मान लेंगे कि ये अल्लाह है। तेल कि कढ़ाही को उबालकर कबीर साहेब को बुलाया गया। कबीर परमात्मा उबलते तेल के कढ़ाहे में स्वयं ही विराजमान हो गए। सभी इस इंतज़ार में थे कि कबीर साहेब जल जाएंगे पर परमात्मा खौलते हुए तेल में आराम से बैठे रहे और सबको दर्शा दिया कि वो अविनाशी हैं पर शेख तकि कबीर साहेब से माफ़ी मांगने कि बजाए उनसे और ज्यादा ईर्ष्या करने लगा और फिर उसने कबीर साहेब को मरवाने के लिए अगली योजना बनाई।

 गहरे कुएं में डालना 👇

अपनी अगली योजना के तहत शेख तकि कबीर साहेब को बांध कर ले गया और ले जा कर एक गहरे कुएं में डलवा दिया। उसके बाद उस कुएं को मिट्टी, गोबर, कांटे आदि डाल कर 150 फ़ीट ऊपर तक भरवा दिया। कबीर साहेब को मृत मानकर शेख तकि सिकंदर लोधी के पास ये खुशखबरी सुनाने के लिए गया। वहां परमात्मा कबीर साहेब को सिकंदर लोधी के पास ही आसन पर बैठा देखकर शेख तकि गुस्से से जल भुन गया फिर भी कबीर जी को परमात्मा नहीं माना।

तलवार से कटवा कर मारने की कोशिश
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गुस्से में शेख तकि ने कबीर साहेब को तलवार से कटवा कर टुकड़े टुकड़े करने की ठानी। इस कुकृत्य के लिए शेख तकि ने कुछ गुंडे तैयार किये। जब परमेश्वर कबीर साहेब जी रात्रि में सोने की लीला कर रहे थे उस समय शेख तकि उन गुंडों के साथ परमात्मा की कुटिया में आया और कबीर परमात्मा पर तलवारों से अंधाधुंध वार किये। जब कबीर साहेब को मृत जानकार सभी वहां से जाने लगे तभी कबीर परमेश्वर उठ खड़े हुए। उनको भूत समझकर सभी गुंडे और शेख तकि डर कर वहां से भाग गए।

 खूनी हाथी से मरवाने की चेष्टा

इसी तरह कबीर परमात्मा को ख़त्म करने के लिए हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने बहुत से प्रयास किये। बादशाह सिकंदर लोधी से उनकी झूठी शिकायतें करके उनको कई बार सज़ा करवाने की कोशिश की गयी। ऐसे ही एक बार सिकंदर लोधी ने कबीर साहेब को हाथी से कुचलवाने की सजा दी। कबीर परमात्मा जी के हाथ पाँव बांध कर उन्हें एक मदोन्मत खूनी हाथी के आगे डाल दिया गया।
पर जब हाथी कबीर परमात्मा को मारने के लिए आगे बढ़ा तो उसे परमात्मा के स्थान पर एक बब्बर शेर दिखाई दिया। सिकंदर लोधी को भी परमात्मा का विराट रूप दिखाई दिया। हाथी अपनी जान बचा कर भाग गया तथा राजा भी थर्र थर्र काँपता हुआ नीचे आया और कबीर परमेश्वर को दंडवत प्रणाम किया।

 गंगा में डुबो कर मारने की कोशिश
kabir-sahib-in-ganga-river

जब ये प्रयास भी सफल न हुआ तो कबीर जी को गंगा में डुबो कर मारने की कोशिश की गयी। उनके हाथ पांव बांध कर उन्हें गंगा में डाल दिया गया पर सर्व शक्तिमान कबीर परमेश्वर जल के ऊपर आराम से बैठे रहे। जब कबीर साहेब नहीं डूबे तो चार पहर तक उनके ऊपर गोलियां और तोपों की बारिश की गयी। सबने अपने परम पिता परमात्मा पर पत्थर बरसाए। पर परमेश्वर कबीर साहेब को कोई हानि नहीं पहुंची। तब कबीर साहेब वहां से अंतर्ध्यान हो गए और अपनी कुटिया में प्रकट हो गए।
इस प्रकार परमात्मा कबीर साहेब को 52 कसनी दी गयी अर्थात उन्हें 52 बार मरवाने की कोशिश की गयी पर परमात्मा को कोई हानि नहीं पहुंची क्योंकि परमेश्वर कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी हैं।

वेद गवाही देते हैं कि पूर्ण परमात्मा कविर्देव(कबीर साहेब) राजा के समान दर्शनीय हैं। वे सतलोक में रहते हैं और अपनी अच्छी आत्माओं और दृढ़ भगतों को सत्य भक्ति का ज्ञान करवाने के लिए वो परमात्मा स्वयं ही पृथ्वी पर प्रकट होते हैं। उसी प्रकार परमात्मा कबीर साहेब 600 साल पहले सशरीर पृथ्वी पर आये थे और 120 साल तक पृथ्वी पर सतभक्ति का ज्ञान देकर सशरीर ही वापिस चले गए थे। मगहर में आज भी इस घटना की यादगार बनी हुई है।

वर्तमान में कबीर साहेब के नुमाइंदे संत रामपाल जी महाराज जी हैं। उन्होंने कबीर साहेब द्वारा दिया गया दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान उजागर कर दिया और जिस तरह से कबीर साहेब को परेशान किया गया उसी तरह से आज संत रामपाल जी महाराज को परेशान किया जा रहा है लेकिन पूर्ण गुरु होने के कारण उनका कुछ कोई नहीं बिगाड़ सका और उनका ज्ञान लगातार फैल रहा है। आप भी संत रामपाल जी महाराज के दिव्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के लिए जरूर देखें साधना TV रात 7:30 pm से.

पुस्तक लिंक👇
https://www.jagatgururampalji.org/gyan_ganga_hindi.pdf
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Thursday, May 28, 2020

#GodKabir_Comes_In_4_Yugas

#GodKabir_Comes_In_4_Yugas
🌸 सतयुग 👇
सतयुग में मनु समझाया,काल वश रहा मार्ग नहीं पाया। 
उल्टा दोष मोही पर लगाया, वामदेव मेरा नाम धराया।।

🌸 त्रेतायुग 👇
त्रेता में नल नील चेताया,लंका में चन्द्र विजय समझाया। 
सीख मन्दोदरी रानी मानी, समझा नहीं रावण अभिमानी।।

🌸 द्वापर युग 👇
ऊवाबाई बकें ब्रह्मज्ञानी, तत्वज्ञान की सार न जानी। 
द्वापर पाण्डव यज्ञ पूर्ण किन्हीं, हो गई थी सबन की हीनि।।

🌸 कलयुग 👇
अब मैं कलयुग में लीन्हा अवतारा,काशी नगर है अस्थान हमारा। 
कबीर नाम है मेरा भाई,ऋषि रामानन्द से दिक्षा पाई।।

🍁 सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान।
🍁 झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।।

➡️ कबीर प्रकट दिवस - 5 जून 2020

Tuesday, May 26, 2020

कबीर परमात्मा की लीलाएं


करिश्मा जो काशी भण्डारे में हुआ !


एक अन्य करिश्मा जो उस भण्डारे में हुआ वह जीमनवार (लंगर) तीन दिन तक चला था। दिन में प्रत्येक व्यक्ति कम से कम दो बार भोजन खाता था। कुछ तो तीन-चार बार भी खाते थे क्योंकि प्रत्येक भोजन के पश्चात् दक्षिणा में एक मौहर (10 ग्राम सोना) और एक दौहर (कीमती सूती शॉल) दिया जा रहा था।
इस लालच में बार-बार भोजन खाते थे। तीन दिन तक 18 लाख व्यक्ति शौच तथा पेशाब करके काशी के चारों ओर ढे़र लगा देते। काशी को सड़ा देते। काशी निवासियों तथा उन 18 लाख अतिथियों तथा एक लाख सेवादार जो सतलोक से आए थे। उस गंद का ढ़ेर लग जाता, श्वांस लेना दूभर हो जाता, परंतु ऐसा महसूस ही नहीं हुआ। सब दिन में दो-तीन बार भोजन खा रहे थे, परंतु शौच एक बार भी नहीं जा रहे थे, न पेशाब कर रहे थे। इतना स्वादिष्ट भोजन था कि पेट भर-भरकर खा रहे थे। पहले से दुगना भोजन खा रहे थे। हजम भी हो रहा था। किसी रोगी तथा वृद्ध को कोई परेशानी नहीं हो रही थी। उन सबको मध्य के दिन चिंता हुई कि न तो पेट भारी है, भूख भी ठीक लग रही है, कहीं रोगी न हो जाऐं। सतलोक से आए सेवकों को समस्या बताई तो उन्होंने कहा कि यह भोजन ऐसी जड़ी-बूटियां डालकर बनाया है जिनसे यह शरीर में ही समा जाएगा। हम तो प्रतिदिन यही भोजन अपने लंगर में बनाते हैं, यही खाते हैं। हम कभी शौच नहीं जाते तथा न पेशाब करते, आप निश्चिंत रहो। फिर भी विचार कर रहे थे कि खाना खाया है, परंतु कुछ तो मल निकलना चाहिए। उनको लैट्रिन जाने का दबाव हुआ। सब शहर से बाहर चल पड़े। टट्टी के लिए एकान्त स्थान खोजकर बैठे तो गुदा से वायु निकली। पेट हल्का हो गया तथा वायु से सुगंध निकली जैसे केवड़े का पानी छिड़का हो। यह सब देखकर सबको सेवादारों की बात पर विश्वास हुआ। तब उनका भय समाप्त हुआ, परंतु फिर भी सबकी आँखों पर अज्ञान की पट्टी बँधी थी। परमेश्वर कबीर जी को परमेश्वर नहीं स्वीकारा।
पुराणों में भी प्रकरण आता है कि अयोध्या के राजा ऋषभ देव जी राज त्यागकर जंगलों में साधना करते थे। उनका भोजन स्वर्ग से आता था। उनके मल (पाखाने) से सुगंध निकलती थी। आसपास के क्षेत्र के व्यक्ति इसको देखकर आश्चर्यचकित होते थे। इसी तरह सतलोक का आहार करने से केवल सुगंध निकलती है, मल नहीं। स्वर्ग तो सतलोक की नकल है जो नकली है।

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Chhath Puja 2020

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